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श्री क्षेत्र अवंतिका (उज्जैन)
अखिल भारतीय गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज उज्जैन के तीर्थ पुरोहित (पंडा)
एवं प्रयागराज के पंडो के अवंतिका उज्जैन के पुरोहित (पंडा)
पं उमाकांत शुक्ल एवं पं तुषार शुक्ल




जय महाकाल
उज्जैन महाकाल:
उज्जैन महाकाल: अनादि से अनंत तक की आराधना
शास्त्रों और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, सृष्टि को आरंभ हुए लगभग 1 अरब 95 करोड़ वर्ष हो चुके हैं। उज्जैन, जिसे अवंतिका नगरी कहा जाता है, देवों के देव महादेव की महाकाल स्वरूप में आराधना का केंद्र है। माना जाता है कि महाकाल इसी समय से, या इससे भी अधिक काल से, यहां विराजमान हैं।
“महाकाल” का अर्थ
“महा” का अर्थ है महान, और “काल” का अर्थ है समय। अर्थात, महाकाल वह हैं जो स्वयं समय के भी आराध्य हैं, और समय पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं।
महाकाल ज्योतिर्लिंग का स्वरूप
उज्जैन में स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग की खासियत है कि यह दक्षिणमुखी है। दक्षिण दिशा को यम यानी काल की दिशा माना गया है। इसलिए कहा जाता है कि जो भी महाकाल की शरण में आता है, उसे काल का भय नहीं सताता।
प्राचीन मान्यता
जैसा कहा गया है:
“काल उसका क्या करें, जो भक्त हो महाकाल का।”
मंदिर का इतिहास और संरचना
हालांकि महाकाल मंदिर का गर्भगृह ज्यों का त्यों है, बाहरी मंदिर का जीर्णोद्धार समय-समय पर विभिन्न राजाओं द्वारा किया गया। वर्तमान मंदिर को मराठा काल का माना जाता है। मंदिर की तीन मंजिलें हैं:
- भूमिगत तल: यहाँ स्वयं महाकाल महाराज विराजमान हैं।
- प्रथम तल: यहाँ ओंकारेश्वर महादेव का निवास है।
- द्वितीय तल: यहाँ नागचंद्रेश्वर भगवान का मंदिर स्थित है, जो वर्ष में केवल एक बार खुलता है। यह मंदिर अपनी विलक्षणता और चमत्कारी प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है।
वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता का संगम
मंदिर के शिखर का आकार “श्री यंत्र” जैसा है, जो इसके प्राचीन वैभव और वैज्ञानिकता को दर्शाता है। इसे मां लक्ष्मी की उपासना के लिए भी अत्यंत शुभ स्थान माना गया है।

पूजा, अनुष्ठान, मंत्रोच्चार और आध्यात्मिक साधना
श्री महादेव कहते हैं–हे ऋषिप्रवर! शुभ महाकालवन में जितने तीर्थ हैं, मैं वह कहता हूं। तुम उसे
स॒नो। प्रथिवी पर पुष्कर आदि जितने तीर्थ हैं, उतने तीर्थ महाकालवन में भी विराजित हैं।
क्षोटि-कोटि तीर्थ वहां रुद्रसरोवर में निमज्जित हैं। तभी इसे कोटितीर्थ कहा गया है। हेमन्तकाल में पैशाचमोचन तीर्थ में किन्नर ओसकणों की वृष्टि करते हैं। यह देखा गया है। हे सत्तम! इस पृथिवी पर कितने लिड्ग किंवा तीर्थ हैं, यह तो मैं भी नहीं जानता, तथापि मैं प्रधान तीर्थों का ही वर्णन करता हूं। हे द्विजोत्तम! वर्ष में जितने दिन होते हैं, अवन्ती क्षेत्र में विचरण करते उतने दिन व्यतीत करे। वर्ष पूर्ण होते ही अवन्ती यात्रा सम्पन्न हो जाती है। जो व्यक्ति सविधि अवन्ती यात्रा करता है, वह साक्षात् शंभु हो जाता है। सहख्र मन्वन्तर पर्यन्त काशीवास का जो फल प्राप्त होता है, वही फल वैशाख मास में मात्र पांच दिन अवन्ती में स्नान द्वारा मिल जाता है। अतः मुमुक्षु व्यक्ति यत्वनतः अवन्ती यात्रा करे।
हवन-पूजा-मंत्रजाप
रुद्राभिषेक: रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का विशेष अनुष्ठान है। यह पूजा सभी प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त करती है और सुख-शांति, समृद्धि, तथा स्वास्थ्य प्रदान करती है।
महामृत्युंजय जाप: महामृत्युंजय जाप दीर्घायु, रोगों से मुक्ति और शारीरिक-मानसिक शक्ति के लिए किया जाने वाला अचूक वैदिक उपाय है। यह शिव मंत्र जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
कालसर्प योग शांति: कालसर्प योग शांति पूजा उन लोगों के लिए है, जिनके जीवन में बाधाएँ, अशांति या कठिनाइयाँ हैं। यह पूजा दोषों को शांत कर जीवन में संतुलन और सफलता लाती है।
नवग्रह शांति: नवग्रह शांति पूजा ग्रह दोषों से मुक्ति और ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का श्रेष्ठ उपाय है। यह पूजा जीवन में सुख और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।
मंगल पूजन: मंगल पूजा विशेष रूप से उन्नति, ऊर्जा, साहस और विवाह संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए की जाती है।
समस्त वैदिक अनुष्ठान: वैदिक अनुष्ठान समग्र शांति, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किए जाते हैं। ये सभी जीवन को संतुलित और सकारात्मक बनाते हैं।

हमारे बारे में
श्री क्षेत्र अवंतिका (उज्जैन): सनातन संस्कृति का पवित्र तीर्थ
श्री क्षेत्र अवंतिका, जिसे उज्जैन के नाम से जाना जाता है, सनातन धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह पवित्र नगरी भगवान महाकालेश्वर के निवास और अत्यंत धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है।
अखिल भारतीय गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज के तीर्थ पुरोहित (पंडा):
उज्जैन में गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज के तीर्थ पुरोहित (पंडा) के रूप में पं. उमाकांत शुक्ल और पं. तुषार शुक्ल सेवा में समर्पित हैं। इनके मार्गदर्शन में श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठानों, अभिषेक, पूजा-पाठ और वैदिक विधियों का पालन कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव करते हैं।
प्रयागराज के पंडों के उज्जैन के पुरोहित (पंडा):
उज्जैन के ये पुरोहित प्रयागराज से जुड़े श्रद्धालुओं की धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी अग्रणी हैं। इनकी विद्वत्ता और वैदिक ज्ञान श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।
पं. उमाकांत शुक्ल और पं. तुषार शुक्ल सनातन परंपराओं के संवाहक के रूप में समर्पण और सेवा का प्रतीक हैं।
वैदिक अनुष्ठान हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने और आत्मिक शांति प्राप्त करने का माध्यम हैं। ये अनुष्ठान प्राचीन वेदों और शास्त्रों पर आधारित होते हैं, जिनका उद्देश्य हमारे जीवन के भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक पक्षों को संतुलित करना है।
हमारी सेवा में अनुभवी और विद्वान पुरोहितों की टीम है, जो श्रद्धालुओं को पूजा, अनुष्ठान, रुद्राभिषेक, हवन और अन्य धार्मिक कार्यों में पूर्ण समर्पण से सहायता प्रदान करती है। पं. उमाकांत शुक्ल और पं. तुषार शुक्ल जैसे कुशल पुरोहित हमारे मार्गदर्शक हैं। हमारा उद्देश्य हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करना है। हम चाहते हैं कि हमारी सेवा से लोग अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाएं और भगवान के आशीर्वाद से अपने जीवन को सुंदर बनाएं।
वैदिक अनुष्ठानों में रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, नवग्रह शांति, कालसर्प योग शांति, लक्ष्मी पूजन, हवन, ग्रह प्रवेश पूजा और अन्य अनेक अनुष्ठान शामिल हैं। इन अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त होती है, ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
इन अनुष्ठानों का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है। मंत्रों का उच्चारण और हवन सामग्री का उपयोग वातावरण को शुद्ध करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
यदि आप जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखते हैं, तो वैदिक अनुष्ठानों का सहारा लें और अपने जीवन को संतुलित और सकारात्मक बनाएं।
उज्जैन दर्शन
ऋणमुक्तेश्वर महादेव
उज्जैन के पवित्र मंदिरों में से एक ऋणमुक्तेश्वर महादेव का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग के दर्शन व पूजन से आर्थिक, मानसिक और कर्म संबंधी ऋणों से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है। भक्त यहां आकर विशेष पूजन और रुद्राभिषेक कर शिव कृपा प्राप्त करते हैं। शिवरात्रि और सावन मास में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर आध्यात्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का केंद्र माना जाता है।
शनि मंदिर नवग्रह
उज्जैन स्थित शनि मंदिर नवग्रह नवग्रहों की शांति और शनि दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ शनिदेव की प्रतिमा विशेष पूजन और तिल, तेल अर्पण से प्रसन्न होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से नवग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है। शनिवार के दिन यहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ती है। शनि जयंती पर विशेष अनुष्ठान होते हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं को सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में शांति प्रदान करता है।
गड़कालिका मंदिर
उज्जैन का गड़कालिका मंदिर माँ काली के 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि महाकवि कालिदास ने यहां माँ काली की आराधना कर काव्य प्रतिभा प्राप्त की थी। यह मंदिर तांत्रिक सिद्धियों और साधनाओं के लिए प्रसिद्ध है। माँ काली की प्रतिमा अति प्राचीन और दिव्य रूप में स्थित है। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष अनुष्ठान होते हैं और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर शक्ति साधकों और भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है।
मच्छेंद्रनाथ जी समाधि स्थल
उज्जैन स्थित मच्छेंद्रनाथ जी का समाधि स्थल नाथ संप्रदाय के महान संत गुरु मच्छेंद्रनाथ की तपस्या भूमि है। यह स्थान योगियों और साधकों के लिए महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि यहाँ साधना करने से आत्मिक शांति और योग सिद्धि प्राप्त होती है। समाधि स्थल पर नित्य ध्यान और साधना करने वाले भक्त आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं। यह स्थान नाथ परंपरा के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का केंद्र है।
काल भैरव मंदिर
काल भैरव मंदिर उज्जैन के सबसे शक्तिशाली मंदिरों में से एक है। यहाँ भगवान भैरव की प्रतिमा को मदिरा अर्पित की जाती है, जिसे वे स्वयं ग्रहण करते हैं। यह मंदिर तंत्र साधना और भैरव उपासना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों को भय से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। अष्टमी और रविवार के दिन विशेष दर्शन और पूजन होते हैं। यह मंदिर तांत्रिक शक्तियों का केंद्र माना जाता है।
84 महादेव
उज्जैन में 84 महादेव मंदिर श्रृंखला विशेष धार्मिक महत्व रखती है। मान्यता है कि यहाँ स्थित सभी शिवलिंगों का दर्शन करने से स्वयं काशी, प्रयाग और अन्य तीर्थों के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। यह मंदिर श्रृंखला महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ जुड़ी हुई है और भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र मानी जाती है। श्रावण मास में यहाँ शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
10 नारायण
उज्जैन के 10 नारायण मंदिरों का विशेष धार्मिक महत्व है। इन मंदिरों में भगवान विष्णु के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन सभी नारायण मंदिरों के दर्शन और पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से वैकुंठ चतुर्दशी और एकादशी पर यहाँ भक्तों की विशेष भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर श्रृंखला विष्णु भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय मानी जाती है।
नवग्रह मंदिर
नवग्रह मंदिर उज्जैन में ग्रह शांति और दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध स्थल है। यहाँ सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की मूर्तियाँ स्थापित हैं। प्रत्येक ग्रह की विशेष पूजा से उनके दुष्प्रभाव कम होते हैं और जीवन में शुभता बढ़ती है। विशेष रूप से शनिवार और ग्रहण के दिनों में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
अष्ट भैरव
उज्जैन के अष्ट भैरव मंदिर भगवान भैरव के आठ रूपों की पूजा के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें काल भैरव, बटुक भैरव, स्वर्णाकर्षण भैरव, चंद्र भैरव, रुद्र भैरव, क्रोध भैरव, ऊन भैरव और अन्नपूर्णेश्वर भैरव की मूर्तियाँ हैं। मान्यता है कि इन मंदिरों के दर्शन से भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
चार हनुमान मंदिर
उज्जैन में स्थित चार प्रमुख हनुमान मंदिर – बड़नगर हनुमान, चिंतामण गणेश के समीप हनुमान, नागचंद्रेश्वर के पास बालाजी हनुमान और बड़ा गणेश मंदिर के पास हनुमान मंदिर – भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय हैं। यहाँ श्रद्धालु हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंगलवार और शनिवार को यहाँ विशेष भीड़ रहती है।
षड्विनायक मंदिर
उज्जैन में षड्विनायक मंदिर श्रृंखला गणपति भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन छह मंदिरों में भगवान गणेश के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन मंदिरों का दर्शन करने से विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
24 खंबा माता मंदिर
24 खंबा माता मंदिर उज्जैन का प्राचीन मंदिर है, जिसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से भी जुड़ा माना जाता है। इस मंदिर में देवी महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियाँ विराजमान हैं। इसका निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और इसकी स्थापत्य कला अद्भुत है। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजन और अनुष्ठान होते हैं। यह मंदिर शक्ति साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह सभी मंदिर उज्जैन की धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक हैं और भक्तों के लिए अटूट आस्था का केंद्र बने हुए हैं।
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